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समस्या बार- बार वहीं समाधान का ज़िक्र नहीं, बिहार और बाढ़ का सम्बंध वर्षों पुराना है

समस्या बार- बार वहीं समाधान का ज़िक्र नहीं, बिहार और बाढ़ का सम्बंध वर्षों पुराना है

बिहार में विकास और सुशासन को अपने नाम से जोड़ने वाले नेता हर साल आने वाली समस्या बाढ़ पर पता नहीं क्यों चुप्पी साध लेते हैं….
हर बार की तरह इस साल अपनी खराब व्यवस्था के कारण बिहार बाढ़ की चपेट में है..गंगा खतरे के निशान को पार कर गई है जिसके वजह से राज्य के 9 जिले बाढ़ की चपेट में है केंद्रीय जल आयोग के मुताबिक, 6 नदी निगरानी केंद्र खतरे के निशान को पार कर गई है..
बक्सर, पटना (गांधी घाट), कहलगांव और हाथीदाह जैसे प्रमुख नदी पहले ही खतरे के निशान को पार कर चुके हैं..वैशाली, कटिहार, मुंगेर अन्य नदियां खतरे के निशान पर है…
गंगा का जल अचानक नहीं बढ़ा CWC ने हाइड्रोग्राफ के मुताबिक गांधी घाट पर जल स्तर तीन दिनों में 50cm बढ़ गया, भागलपुर और दूसरे जगहों पर भी ऐसे दो से तीन दिनों के भीतर 30-35 cm जल स्तर बढ़ गया..

उपग्रह तस्वीरों की माने तो राजधानी पटना का 15 फीसदी हिस्सा बाढ़ की चपेट में आ गया है…राज्य के अन्य जिलों की बात करे तो बेगूसराय, भागलपुर खगड़िया, भोजपुर इत्यादि जिले बाढ़ की चपेट में है..
राज्य सरकार ने संसाधन विभाग के इंजीनियर और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल को तैनात किया है…
नेपाल में लगातार बारिश हो रही है, जिससे आने वाले भविष्य में स्थिति और भी खराब हो सकती है और नदी का जलस्तर बढ़ सकता है और बाढ़ की स्थिति बदतर हो सकती है….
बाढ़ का प्रभाव
बाढ़ के कारण सड़कें जलमग्न है, लोगों की मूलभूत जरूरतें पूरी होने में समस्या है, राज्य के कुछ हिस्सों में यह देखने को मिला है कि स्कूलिंग बच्चे नाव का उपयोग कर स्कूल जा रहे हैं…

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