गुरु ब्रह्मा गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वरः।
गुरुः साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नमः।।’
अर्थात्
”गुरु ही सृष्टिकर्ता हैं , गुरु ही पालनकर्ता हैं , गुरु ही संहारक या अंधकार को दूर करने वाले हैं। गुरु ही साक्षात् परब्रह्म हैं, ऐसे श्री गुरु को मेरा प्रणाम है।”
हर साल 5 अक्टूबर को पूरी दुनिया विश्व शिक्षक दिवस (World Teachers’ Day) मनाती है। यह दिन उन शिक्षकों को सम्मान देने का दिन है, जो सिर्फ किताबों का ज्ञान ही नहीं देते, बल्कि जीवन जीने की सही राह भी दिखाते हैं। तभी तो कबीर दास ने कहा है:
गुरु गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पांय।
बलिहारी गुरु आपने, गोविन्द दियो बताय।।”
शिक्षक वह दीपक हैं जो अंधकार में भी रोशनी फैलाते हैं।वे हमें केवल पढ़ाते ही नहीं, बल्कि हमारे विचारों को आकार देते हैं और समाज को मजबूत नींव प्रदान करते हैं। शिक्षक समाज के निर्माण की रीढ़ हैं। आज जब तकनीक और बदलाव की तेज़ रफ्तार से दुनिया आगे बढ़ रही है, तब भी एक सच्चे गुरु का मार्गदर्शन जीवन को सही दिशा देता है।गुरु का स्थान हमेशा सर्वोपरि होता है, क्योंकि वही हमें “क्या बनना है” नहीं, बल्कि “कैसे बनना है” यह सिखाते हैं।
हमारे जीवन निर्माण में शिक्षकों का जो योगदान होता है उसे हम चाह कर भी उसका कर्ज और योगदान को भूल नहीं सकते हैं लेकिन इन दिनों के माध्यम (5 सितंबर भारतीय शिक्षक दिवस और 5 अक्टूबर विश्व शिक्षक दिवस) के माध्यम से हमारे द्वारा उन्हें सम्मान देने और उनके योगदान को याद करने का विशेष अवसर है.
शिक्षक केवल ज्ञान देने वाले नहीं होते, बल्कि वे जीवन जीने की राह दिखाने वाले मार्गदर्शक भी होते हैं।
विश्व शिक्षक दिवस क्यों मनाया जाता है?
1994 में UNESCO (यूनेस्को) ने इस दिन को मनाना शुरू किया। इसका उद्देश्य था कि समाज और दुनिया को यह याद दिलाया जाए कि शिक्षा और विकास में शिक्षक की क्या अहम भूमिका होती है।
यह दिन 1966 में शिक्षक की स्थिति और अधिकारों पर हुए पेरिस सम्मेलन की याद में मनाया जाता है।
विश्व शिक्षक दिवस के कारण:-
- शिक्षकों के योगदान का सम्मान किया जाए।
- शिक्षा के महत्व को समाज तक पहुँचाया जाए।
- शिक्षकों के अधिकार और उनके मान-सम्मान की रक्षा की जाए।
- आने वाली पीढ़ियों को बेहतर मार्गदर्शन देने के लिए शिक्षकों को प्रेरित किया जाए।
- शिक्षक समाज के आधार स्तंभ होते हैं। वे सिर्फ किताबों का ज्ञान नहीं देते, बल्कि हमें नैतिकता, संस्कार, अनुशासन और जीवन के मूल्यों को भी सिखाते हैं।
शिक्षक एक दीपक की तरह होते हैं जो खुद जलकर अज्ञानता के अंधकार को दूर करते हैं और समाज में ज्ञान का प्रकाश फैलाते हैं। विश्व शिक्षक दिवस हमें यह याद दिलाता है कि शिक्षा केवल करियर बनाने का साधन नहीं, बल्कि एक बेहतर समाज और जिम्मेदार नागरिक तैयार करने की नींव है।
विश्व शिक्षक दिवस केवल एक दिन का उत्सव नहीं बल्कि शिक्षा, प्रेरणा और आदर्शों के प्रति हमारी श्रद्धा का प्रतीक है।
महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने शिक्षकों के बारे में कहा:
“रचनात्मक अभिव्यक्ति और ज्ञान में आनंद जगाना ही शिक्षक की सर्वोच्च कला है।”
साथ ही भारतीय पूर्व राष्ट्रपति और वैज्ञानिक ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने शिक्षकों की भूमिका को परिभाषित करते हुए कहा था:
“अगर कोई देश भ्रष्टाचार-मुक्त और सुंदर-मन वाले लोगों का राष्ट्र बनाना चाहता है, तो मुझे दृढ़तापूर्वक महसूस होता है कि समाज के तीन प्रमुख सदस्य ही यह कर सकते हैं—पिता, माता और शिक्षक।”
अर्थात् शिक्षक और छात्रों का सम्बंध अटूट है शिक्षक के बिना किसी का जीवन उसी प्रकार हैं जिस प्रकार “जल बिन मछली “।





