बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में टिकट बंटवारे के बाद राजनीतिक दलों पर परिवारवाद को बढ़ावा देने के आरोप लग रहे हैं। तस्वीर से साफ है कि दोनों प्रमुख गठबंधन – NDA (मुख्यतः JDU और BJP) और महागठबंधन (मुख्यतः RJD और HAM) – ने अपने बड़े नेताओं के रिश्तेदारों को बड़ी संख्या में टिकट दिया है।

RJD में ‘परिवार’ की सबसे बड़ी हिस्सेदारी
राष्ट्रीय जनता दल (RJD) में सियासी परिवारों की भरमार है। लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी के पुत्र तेजस्वी यादव (राघोपुर) खुद मैदान में हैं।
तेजप्रताप यादव (समस्तीपुर)
अखिलेश कुमार फातमी के पुत्र -अकील अहमद फातमी (केवटी)
रमई राम की पुत्री -गीता देवी (गायघाट)
जापान मेहता की पत्नी -पूनम देवी (महनार)
सुमन कुमार की बेटी- श्रवण कुमार (सासाराम)
मुन्नी देवी की बेटी -तुलसी महतो (जोकीहाट)
अखंड प्रताप के बेटे -अभय प्रताप (गोविंदगंज)
सुरेन्द्र प्रसाद यादव के पुत्र -रणवीर यादव (सिवान)
वृंदा राय की पत्नी- संजना राय (कल्याणपुर)

JDU में भी दिग्गजों के रिश्तेदार मैदान में
जनता दल यूनाइटेड (JDU) में भी कई बड़े नेताओं के रिश्तेदारों को टिकट दिया गया है:
दिलीप राय के बेटे- उत्तम कुमार (फुलपरास)
ललन सिंह की बहू- सुनीता सिंह (चंपारण)
जनार्दन मांझी के पुत्र -अनिल मांझी (चकाई)
जयंत राज के बेटे- अशोक कुमार (चोली)
रणविजय सिंह के पुत्र- राम कुमार महतो (भटनी)
धर्मेंद्र कुशवाहा के बेटे- विनय कुशवाहा (कटरा)
हरि साह के बेटे- सतीश साह (लौकीहा)
दिनेश सिंह के बेटे -कोमल सिंह (गायघाट)
दिलीप सिंह के भाई -अनंत सिंह (मोकामा)

BJP में भी परिवारवाद से कोई परहेज नहीं
भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने भी कई स्थापित सियासी परिवारों को टिकट दिया है:
रणधीर चौधरी की बेटी- संगीता चौधरी (ताजपुर)
नवल किशोर चौधरी के पुत्र -नितिन चौधरी (वाल्मीकिनगर)
दिग्गविजय सिंह के बेटे- दिग्विजय सिंह (तुरमई)
विजयेंद्र झा के भाई- विनोद प्रसाद (ताराडीह)
विनोद ओझा की बेटी -राधिका मिश्रा (साहिबगंज)
अजय निषाद की पत्नी -पारुल निषाद (ओरई)
देवानंद शर्मा के बेटे- सुनील कुमार (सीतामढ़ी)

HAM और LJPR में भी रिश्तेदार
जीतन राम मांझी की पार्टी HAM में भी परिवारवाद स्पष्ट दिखा है। जीतन राम मांझी की पत्नी- शांती देवी (वजीरगंज) और पुत्र- संतोष कुमार सुमन (इमामगंज) मैदान में हैं। वहीं, LJPR (लोजपा-रामविलास) से चिराग पासवान ने अपने चाचा -संतोष कुशवाहा (भोजपुर) और भाई डागस तिवारी (गोविंदगंज) को टिकट दिया है।
दोनों गठबंधनों के इस कदम से स्पष्ट है कि बिहार की राजनीति में पार्टी निष्ठा से कहीं ऊपर परिवार और रिश्तेदारी को तरजीह दी गई है।

विदित हो कि बीजेपी ने लगातार कई मौकों पर परिवारवाद / वंशवाद को राजनीति का बड़ा दोष बताया है और इसे अन्य राजनीतिक दलों पर तंज़ के रूप में इस्तेमाल किया है।
- कई मौकों पर प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि “वंशवाद सबसे बड़ा दुश्मन है लोकतंत्र का” — उन्होंने कहा कि “जो केवल अपने परिवार का नाम दम पर राजनीति में आए हों, उनकी राजनीति नहीं, पार्टी-परिवार बन जाता है।”
- जेपी नड्डा (बीजेपी अध्यक्ष) ने कहा कि बीजेपी “परिवार-पार्टी” के खिलाफ है, और उसने विभिन्न राज्यों में मौजूद “बाप-बेटा, बाप-बेटी, भैजा-भतीजा” आधारित पार्टियों का नाम लिया है।
- अमित शाह ने अन्य दलों पर आरोप लगाया कि वो “वंशवाद, आकाओं-परिवार के चलाने वाले” राजनीति को बढ़ावा दे रहे हैं, जबकि BJP इसे समाप्त करने की बात करती है।
- बीजेपी ने विपक्षी दलों के गठबंधन को := Protection of Dynasties Alliance…

बीजेपी ने कॉंग्रेस को सीधे “माँ-बेटा-बेटी” की पार्टी भी कहा है।
समाजवादी पार्टी ,आरजेडी, टीएमसी और अन्य राज्यों-के “परिवार प्रमुख” दल : इन पर “वंशवाद का जाल” बिछाने का आरोप लगाया गया है।
लेकिन वही बीजेपी पिछले अन्य राज्यों के चुनावों में भी उसने भी परिवारवाद का जाल बिछाना शुरू कर दिया है…बिहार में हो रहे विधानसभा चुनाव में भी उसने एक ही परिवार से संबंधित बहुत सारे लोगों को टिकट दिया है….





