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नए सपनों, नई रोशनी और नई उम्मीदों की दिवाली, आओ, एक फिर खुशियों का दीप जलाएं, दिवाली क्यू मनाते हैं?

नए सपनों, नई रोशनी और नई उम्मीदों की दिवाली, आओ

दिवाली… सिर्फ एक त्योहार नहीं, यह है रोशनी, उमंग और नए आगाज़ का उत्सव! साथ ही उम्मीदों की नई किरण लेकर आई है। हर साल की तरह इस बार भी दीपों की जगमगाहट आसमान तक चमक बिखेर रही है, लेकिन इस बार की रोशनी में एक नई सोच, एक नई दिशा और आधुनिक भारत की झलक दिखाई दे रही है।

मां लक्ष्मी का आशीर्वाद और पूजा का शुभ मुहूर्त

• 20 अक्टूबर को शुभ मुहूर्त में मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करें। यह सिर्फ धन की नहीं, बल्कि सुख, समृद्धि और सद्बुद्धि की प्रार्थना का समय है।

• ​शुभ मुहूर्त: शाम 7 बजकर 08 मिनट से 8 बजकर 18 मिनट तक (लगभग)

• ​घर के द्वार पर मनमोहक रंगोली बनाएं। यह सिर्फ सजावट नहीं, यह आपके जीवन में नए रंगों और सौभाग्य के स्वागत का प्रतीक है।

क्या नया है इस साल की दिवाली में…

तकनीक और परंपरा के संगम ने 2025 की दिवाली को खास बना दिया है — स्मार्ट लाइट्स से सजे घर, पर्यावरण-अनुकूल मिट्टी के दीए, और डिजिटल शुभकामनाओं से गूंजते सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म। जहां पहले लोग मिठाइयों और आतिशबाजी में व्यस्त रहते है!

यह दिवाली सिर्फ घरों को रोशन नहीं कर रही, बल्कि दिलों में भरोसा जगा रही है — कि चाहे वक्त कितना भी बदल जाए, त्योहारों की गर्मजोशी और साथ का एहसास कभी फीका नहीं पड़ता।

दिवाली क्यों मनाते हैं?

पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान श्रीराम ने जब रावण का वध करके 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे, तब अयोध्यावासियों ने उनके स्वागत में पूरे नगर को दीयों से सजाया था।

उसी दिन से हर वर्ष दीपों का यह पर्व मनाया जाता है, जो प्रेम, न्याय और धर्म की जीत का प्रतीक बन गया।लेकिन दिवाली केवल रामायण से जुड़ी नहीं है — भारत के अलग-अलग हिस्सों में इसकी कई कथाएँ प्रचलित हैं।

कहीं इसे माता लक्ष्मी के पृथ्वी पर आगमन का दिन माना जाता है,कहीं भगवान विष्णु द्वारा राक्षस बलि को पाताल भेजने की कथा से जोड़ा जाता है,और कहीं भगवान महावीर के निर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है।

इस दिवाली..दीप जलाएं, उम्मीद जगाएं — क्योंकि हर अंधेरा, रोशनी से ही मिटता है। हैप्पी दिवाली 🪔

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