CAG (Comptroller and Auditor General)की रिपोर्ट आते ही बिहार सरकार की चोरी पकड़ में आयी,साथ ही सरकार की पोल भी खुल गई..CAG रिपोर्ट के अनुसार सरकार के पास 70 हज़ार करोड़ रुपये का हिसाब नहीं है..नियंत्रक और महालेखा परीक्षक की ताजा ऑडिट रिपोर्ट ने सरकार की वित्तीय कार्यशैली पर प्रश्नचिह्न लगा दिए हैं?
“क्योंकि सरकार करीब 70 हजार करोड़ रुपये का उपयोगिता प्रमाणपत्र (UC) जमा करने में नाकाम रही…”
- यह राशि विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रम के लिए आवंटित की गयी थी
- लेकिन नियमानुसार इसके खर्च का विवरण अभी तक जमा नहीं हुआ है
रिपोर्ट के मुताबिक पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में इस वर्ष कुल देनदारियों में 12.34 % का इजाफा हुआ..इससे यह पता चल रहा है कि सरकार वित्तीय प्रबंधन ठीक से नहीं कर रही हैं..और सरकार के पारदर्शिता भरे दावे पर सवाल खड़े हो गए हैं…
CAG के अनुसार यदि उपयोगिता प्रमाणपत्र (UC)जमा नहीं होता तो यह साबित नहीं होता है कि फंड का इस्तेमाल उसी उद्देश्य से हुआ, जिसके लिए वह जारी किया गया था ,इससे सरकारी धन की घपलों की सम्भावनाएँ बढ़ जाती हैं….
यह रिपोर्ट अंतिम जुलाई के दिन विधानसभा में प्रस्तुत किया गया था, दस्तावेज में कहा गया कि 31 मार्च 2024 तक महालेखाकार कार्यालय को 49,649 UC पेंडिंग मिले…यह सरकारी नियमों का उल्लंघन है क्योंकि किसी योजना के अंतर्गत आवंटित राशि के उपयोग का प्रमाण तयसीमा में देना जरूरी होता है… - 2023-24 के बजट का पूरा उपयोग नहीं किया गया
- 2023 -24 वित्तीय वर्ष का कुल बजट अनुमान 3.26 लाख करोड़ रुपये थे जिसमें से 2.60 लाख करोड़ रुपए का उपयोग हो सका…
- वर्षों पुरानी फ़ाइलें अटकी हुई है जैसे में पंचायती राज, शिक्षा विभाग, नगर विकास ,कृषि विभाग आदि..

CAG रिपोर्ट पर पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने कहा “शुरू से सरकार ने सिर्फ घोटाला ही किया है, जब से नरेंद्र मोदी सरकार चला रहे हैं तब से सिर्फ घोटाला कर रहे हैं, देश के सभी चीजों को धीरे-धीरे कर के बेच दिया “..
CAG क्या है?
- CAG का मतलब नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (Comptroller and Auditor General) है। यह भारत का सर्वोच्च लेखापरीक्षा संस्थान है..जिसकी स्थापना भारतीय संविधान के अनुच्छेद 148 के तहत हुई है। CAG का मुख्य कार्य केंद्र और राज्य सरकारों के खर्चों और वित्तीय लेनदेन का ऑडिट करना है।





